सैंपलिंग ( निदर्शन ) Sampling
किसी
भी शोध अध्ययन में आंकड़े एकत्रित करने की विधि अध्ययन की विश्वसनीयता का आधार
होती है। अध्ययन के लिए जितनी अधिक जनसंख्या को सम्मिलित कर आंकड़े एकत्रित किए जायें, परिणामों की विश्वसनीयता भी उतनी ही अधिक होती है। हर स्तर पर जनसंख्या
का शत प्रतिशत भाग सम्मिलित नहीं किया जा सकता है। अधिकतर शोध अध्ययनों में
सम्पूर्ण तथ्यों को सम्मिलित करने की बजाय उसकी प्रतिनिधत्व करने वाली इकाइयों को
लेकर अध्ययन किया जाता है।
समग्र
या सम्पूर्ण जनसंख्या (इकाई, वस्तुओं या
मनुष्यों का समूह) में से चुने गए एक ऐसे अंश से है, जिसमें समग्र का प्रतिनिधित्व करने के समस्त लक्षण विद्यमान हों । किसी
जनसंख्या में किसी चर का विशिष्ट मान ज्ञात करने के लिए उसकी कुछ इकाइयों को चुना
जाता है, इस चुनाव की प्रक्रिया को हम सैंपलिंग या निदर्शन कहते हैं, और चुनी
हुई इकाई के समूह को निदर्श (Sample) कहते हैं।
जैसे-
एक चिकित्सक या परीक्षणकर्ता रक्त की एक इकाई की जांच कर रक्त में हीमोग्लोबिन की
मात्रा ज्ञात करता है।
कक्षा
में अध्यापक छात्रों से कुछ सवाल पूछकर उनके बौध्दिक स्तर का अनुमान लगाता है।
§ चर
(Variable)- चर से तात्पर्य उस गुण, विशेषता या अवस्था से है, जिसका अध्ययन
किया जाता है।
§ इकाई (Unit)- चर की मात्रा को जिस छोटे से छोटे घटक में ज्ञात करते हैं, उसे इकाई कहते हैं।
§ जनसंख्या (Population)- जिस समूचे समूह में से इकाई का चयन
तथा चर का मान ज्ञात किया जाए, उसे जनसंख्या कहते
हैं।
§ निदर्श (Sample)- कुछ ऐसी इकाइयों का समूह जो समूचे इकाई समूह का प्रतिनिधित्व करे।
निदर्शन
के आधार (Basic
of Sampling)-
समग्र
की सजातीयता (Homogeneity of Universe)- निदर्शन
में यह अत्यन्त आवश्यक है कि समस्त जनसंख्या में ज्यादा से ज्यादा समानता हो तथा
चुनी गई इकाइयां समग्र का इमानदारी से प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हों।
पर्याप्त
परिशुध्दता (Adequate Accuracy)- निदर्शन
शत-प्रतिशत कभी परिशुध्द नहीं हो सकता फिर भी अध्ययनकर्ता का सदैव प्रयास रहना
चाहिए कि निदर्शन यथासंभव प्रतिनिधित्वपूर्ण हो, तभी
परिणामों के शुध्दता के प्रति आशा व्यक्त किया जा सकता है।
श्रेष्ठ
निदर्शन की विशेषताएं-
(Characteristics of a
Good Sampling)
· उपयुक्त आकार
· पूर्वाग्रह रहित।
· विश्वसनीयता।
· अनुभवों पर आधारित।
· ज्ञान एंव तर्क पर आधारित।
· साधनों एंव उद्देश्यों के अनुरूप।
निदर्शन
के प्रकार (Types of Sampling)-
§ प्रायिकता निदर्शन (Probability Sampling)- इस प्रकार के निदर्शन में प्रत्येक इकाई के चुनाव की संभावना रहती है।
इसकी विशेषता यह है कि किसी भी समग्र की प्रत्येक इकाई के लिए निदर्शन में
सम्मिलित होने की संभावना की गणना की जा सकती है। अत: निदर्शन का चुनाव ऐसी पद्धतियों से किया जाता है, जिनमें समग्र की
प्रत्येक इकाई को निदर्शन में सम्मिलित होने का
अवसर मिलता है। इसमें बहुत सी पध्दतियां हैं – दैव
निदर्शन, स्तरीकृत निदर्शन, व्यवस्थित निदर्शन, बहुस्तरीय
निदर्शन, गुच्छ निदर्शऩ इत्यादि।
1. दैव निदर्शन (Random Sampling)- इस संभावित
निदर्शन भी कहा जाता है। निदर्शन की इस विधि में समग्र की प्रत्येक इकाई के चुनाव
की संभावना रहती है। अर्थात् यह विधि में समग्र जनसंख्या में से निदर्श का चयन
अपनी इच्छा से करने के बजाय संयोग या समान अवसर प्रदान करने वाली प्रणाली के जरिये
किया जाता है। इस विधि में निदर्शों के चयन के लिए लॉटरी विधि, कार्ड/टिकट विधि, टिपेट संख्या विधि आदि के माध्यम से किया जाता है।
2. वर्गीकृत या स्तरीकृत निदर्शन (Stratified
Sampling) – इस विधि में समग्र जनसंख्या को उनकी
अलग-अलग विशेषताओं के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाता है। तत्पश्चात्
दैव निदर्शन विधि द्वारा उनमें से अलग-अलग इकाईयों को चुन लिया जाता है। इसके भी
तीन प्रकार हैं- (क). समानुपातिक, (ख). असमानुपातिक,
(ग). वर्गीय भारयुक्त निदर्शन
3. बहुस्तरीय निदर्शन (Multi-Stage Sampling) – इस विधि में अध्ययन के लिए चयनित किसी विशाल भौगोलिक क्षेत्र ( जैसे
राष्ट्र और राज्य) को छोटे-छोटे क्षेत्रों में विभाजित करके दैव निदर्शन विधि का
प्रयोग करते हुए निदर्श का चयन करता है। जैसे किसी राष्ट्रीय हिंदी समाचारपत्रों
में आर्थिक पत्रकारिता का अध्ययन करना हो तो इसके लिए सारे समाचारपत्रों का चयन
करते हुए सिर्फ उन चुनिंदा समाचारपत्रों का चयन अध्ययन के लिए किया जा सकता है जो
पूरे राष्ट्र के हिंदी समाचारपत्रों का प्रतिनिधित्व करते हों।
4. समूह या गुच्छ निदर्शन (Cluster Sampling) – इस विधि में अध्ययन के लिए चयनित
जनसंख्या को अलग-अलग समूहों में बांटकर उनमें से निदर्श का चुनाव किया जाता है।
विस्तृत भौगोलिक क्षेत्रों में इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
5. व्यवस्थित निदर्शन (Systematic Sampling) – निदर्शन करते समय अगर समग्र की संख्या ज्यादा हो हमें भी बड़े आकार का
निदर्श लेना हो तो इसके लिए व्यवस्थित निदर्शन विधि का प्रयोग किया जाता है। इसमें
समग्र की सूची से एक नियमित और निश्चित अंतराल के बाद निदर्श का चयन किया जाता है।
§ अप्रायिकता/असंभावित निदर्शन (Non- Probability Sampling)- इस निदर्शन पद्धति में समग्र की प्रत्येक इकाई के सम्मिलित होने की संभावना का अनुमान लगाना कठिन
होता है। इसमें हर इकाई को चुने जाने के समान अवसर भी प्राप्त नहीं हो पाते। इसकी
कुछ विधियां- उद्देश्यपूर्ण निदर्शन, आकस्मिक
निदर्शन, अभ्यंश निदर्शन।
· उद्देश्यपूर्ण निदर्शन (Purposive Sampling) – इस विधि में शोधकर्ता अपने तर्क, ज्ञान
और विवेक के आधार पर शोध से संबंधित विशेष उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए
निदर्श का चुनाव करता है। वह अपने अध्ययन में सम्मिलित इकाईयों की प्रकृति, गुण तथा विशेषताओं से पहले से ही परिचित होता है और निदर्श इकाईयों का
चयन भी वह इसी के अनुसार करता है।
· कोटा या अभ्यंश निदर्शन (Quota Sampling) – निदर्शन की इस विधि में समग्र को अलग-अलग भागों में विभाजित कर
प्रत्येक वर्ग से चुनी जाने वाली इकाईयों की संख्या निर्धारित कर ली जाती है। इसके
बाद शोधार्थी अपनी इच्छानुसार प्रत्येक वर्ग से आवश्यकता के अनुरूप निदर्शों का
चयन कर लेता है। इस विधि में पक्षपात की संभावना कायम रहती है।
· स्नोबॉल निदर्शन (Snowball Sampling) – इस
निदर्शन का प्रयोग उस परिस्थिति में किया जाता है जब समग्र की इकाई और उनकी संख्या
ज्ञात और निश्चित न हो। इस विधि में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की जानकारी देता है
और फिर दूसरा किसी तीसरे की। इसी प्रकार इकाईयों की संख्या में वृद्धि होती रहती
है और शोध हेतु पर्याप्त आंकड़ों का संकलन संभव हो पाता है।
· आकस्मिक निदर्शन (Accidental Sampling) – इस विधि में शोधकर्ता अपनी इच्छा और सुविधानुसार समग्र से निदर्श
इकाईयों का चयन करता है और उनसे तथ्य संकलित करता है। यह निदर्शन की अव्यवस्थित
तथा अवैज्ञानिक विधि मानी जाती है जिसमें पक्षपात की संभावना सर्वाधिक होती है।
निदर्शन
के प्रमुख चरण (Steps of Sampling)-
§ समग्र का निर्धारण- जिस समूह से निदर्शन का चयन किया जाता है, उसे समग्र कहते हैं। सर्वप्रथम अनुसंधानकर्ता को उन समग्र इकाइयों का
निर्धारण करना पड़ता है, जिनमें से कुछ इकाइयों का
चयन निदर्श के रूप में किया जाना है।
§ निदर्शन इकाई का निर्धारण- निदर्शन एंव सरलीकरण के लिए भौगोलिक
क्षेत्रों, सामाजिक समूहों, परिवारों, स्थानों,व्यक्तियों, घटनाओँ, व्यवहारों, लक्षणों आदि इकाइयों का चुनाव
किया जाता है।
§ निदर्शन के आकार का निर्धारण- निदर्शन के आकार का कोई नियम नहीं है।
आकार जितना भी हो उसमें अध्ययन की समस्त आधारभूत विशेषताएं सम्मिलित हों तथा
अध्ययन के उद्देश्यों को वह पूर्ण करने में सक्षम होना चाहिए।
§ निदर्शन सूची की रचना- अध्ययनकर्ता के लिए कई बार निदर्शन क्षेत्र की
इकाइयों की सूची विभिन्न स्रोतों (जनगणना प्रतिवेदन,टेलीफोन
डायरेक्ट्री इत्यादि) द्वारा उपलब्ध हो जाती है परन्तु इसकी अनुपस्थित में अधिकतर स्थितियों में संशोधन अथवा परिवर्तन की आवश्यकता के कारण
निदर्शन सूची की रचना स्वंय करनी पड़ती है।
§ निदर्शन पध्दति का चुनाव- निदर्शन प्रक्रिया के अंतिम चरण में निदर्शन
पध्दति/प्रक्रिया का चुनाव किया जाता है, जो समस्या के प्रकार/अध्ययन का विषय, समग्र की प्रकृति, संसाधनों की उपलब्धता
आदि तथ्यों पर आधारित होता है।
निदर्शन
प्रक्रिया के गुण व उपयोगिता-
· संसाधनों की बचत।
· अधिक वैज्ञानिक विधि के रूप में मान्यता।
· तथ्यों की पुन: परीक्षा।
· परिणामों की शुध्दता।
· न्यूनतम त्रुटियां।
· सहयोग की संभावना।
· अध्ययन की गतिशीलती में वृद्धि।
निदर्शन
की प्रमुख समस्याएं-
1. आकार की समस्या।
2. पक्षपातपूर्ण निदर्शन की समस्या।
3. निदर्शन के विश्वसनीयता की समस्या इत्यादि।
संदंर्भ-
भानावत, डॉ. संजीव. (2009). संचार शोध प्रविधियाँ. जयपुर: राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी.
गुप्ता, डॉ. विनीता. (2015). संचार और मीडिया शोध. नई दिल्ली: वाणी प्रकाशन.
दयाल, डॉ.मनोज.(2010). मीडियाशोध. पंचकूला: हरियाणा साहित्य अकादमी.
इन्हें
भी पढ़ें-
शोध का अर्थ, परिभाषा, तत्त्व, प्रकार, महत्व, चरण तथा शोध डिजाइन
निदर्शन का वर्गीकरण
ReplyDeleteअब इसमें वर्गीकरण को भी सम्मिलित कर दिया गया है।
DeleteNedarsan se hame apne apne gol ko prapat krne me asane hote hi hamra time bhi bachata thanks for this opportunity
ReplyDeleteDhnyawad🙏 it's very helpful
ReplyDeleteSampling(निदर्शन)के सभी प्रकारों को बड़ी ही अच्छी तरह बताया गया है, अगर थोड़ा विस्तृत रूप से भी एक- एक के बारे में बताया गया होता तो और अच्छा होता ।
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